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पितृ विसर्जनी अमावस्या पर पितरों के निमित्त किये जाने वाले कुछ कार्य

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अमावस्या के दिन इन बातों का रखें ख्याल:

अभी श्राद्ध पक्ष चल रहा है और कल मंगलवार 23 सितम्बर 2014 को अमावस्या के साथ ही श्राद्ध पक्ष समाप्त हो जाएगा। चूंकि अमावस्या श्राद्ध पक्ष काअंतिम दिन है, अत: इसका काफी महत्व बताया गया है। यदि किसी व्यक्ति ने पूरे श्राद्ध पक्ष में श्राद्ध नहीं किए हैं तो वे केवल अमावस्या के दिन यहां बता जा रहे उपाय करके भी पितृ देवताओं को प्रसन्न कर सकते हैं।

शास्त्रों के अनुसार श्राद्ध पक्ष की अमावस्या पर पितरों की तृप्ति केलिए विशेष पूजन किया जाना चाहिए। यदि आपके पितृ देवता प्रसन्न नहीं होंगेतो आपको अन्य देवी-देवताओं की कृपा भी प्राप्त नहीं हो सकती है। पितरों की कृपा के बिना कड़ी मेहनत करने के बाद भी उचित प्रतिफल प्राप्त नहीं होता है और कार्यों में बाधाएं बढ़ जाती हैं। ऐसा माना जाता है कि पितरों को तृप्त करने से हमें सभी सुख-सुविधाएं प्राप्त होती हैं और सभी बिगड़े कार्य बन जाते हैं।

कल यानि मंगलवार, अमावस्या के दिन में ठीक बारह बजे यह उपाय करें। उपाय के अनुसार सबसे पहले मुख्य दरवाजे के बाहर साफ-सफाई करें। पूजन की थाली सजाएं। थाली में पूजन सामग्री के साथ ही गुड़ और घी भी विशेष रूप से रखें।

इसके बाद दरवाजे के दोनों ओर एक-एक बड़ा दीपक रखें। उसमें गाय के गोबर से बने कंडें जलाएं, दोनों दीपों का पूजन करें। पूजन के बाद पितर देवताओं को याद करें और दोनों दीपों में सुलगते हुए कंडों पर गुड़-घी एक साथ मिलाकर पांच बार डाल दें। इससे पितृ तृप्त होते हैं। ध्यान रखें धूप देने से पहले कंडों से धुआं निकलना बंद हो जाना चाहिए।

अमावस्या के दिन हनुमानजी का ये 1 उपाय करेंगे तो आपके सभी रोग दूर हो जाएंगे। उपाय इस प्रकार हैं:

अमावस्या के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें। इसके बाद नित्यकर्मों से निवृत्त होकर पवित्र हो जाएं। इसके बाद जो व्यक्ति रोगी है उसके कपड़ेसे धागा निकालकर रूई के साथ उससे बत्ती बनाएं। फिर एक मिट्टी का दीपक लें और उसमें घी भरें, रूई और धागे की बत्ती भी लगाएं। यह दीपक हनुमानजी के मंदिर में जलाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें। इस उपाय से रोगी जल्दी ही ठीक हो जाएगा।
यह उपाय मंगलवार और शनिवार को भी नियमित रूप से किया जाना चाहिए।

यदि आप धन संबंधी परेशानियों को दूर करना चाहते हैं तो इस अमावस्या परयह खास उपाय करें। :

उपाय के अनुसार आप किसी पीपल के वृक्ष के समीप जाएं औरअपने साथ जनेऊ और संपूर्ण पूजन सामग्री लेकर जाएं। पीपल की पूजा करें और जनेऊ अर्पित करें। इसके साथ ही भगवान श्रीहरि के मंत्रों का जप करें या भगवान विष्णु का ध्यान करें।

इसके बाद पीपल की परिक्रमा करते हुए ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का जप करें। इस उपाय पितर देवताओं की कृपा भी प्राप्त होती है।
यदि इस दिन संभव हो सके तो आप किसी ऐसे सरोवर या किसी ऐसे स्थान पर जाएं, जहां मछलियां हों। वहां जाते समय अपने साथ गेहूं के आटे की गोलियां बनाकरले जाएं। सरोवर में मछलियों के आटे की गोलियां डालें। यह उपाय भी आपको पितर देवताओं के साथ ही अन्य देवी-देवताओं की कृपा दिलाएगा।

अमावस्या पर इस बात का विशेष ध्यान रखें कि इस दिन तुलसी के पत्ते या बिल्वपत्र नहीं तोडऩा चाहिए। यदि आप अमावस्या पर देवी-देवताओं को तुलसी के पत्ते और शिवलिंग पर बिल्व पत्र चढ़ाना चाहते हैं तो एक दिन पहले ही ये पत्ते तोड़कर रख लें। यदि अमावस्या के दिन नया बिल्वपत्र ना मिले तो पुराने पत्तों को ही धोकर पुन: शिवलिंग पर अर्पित कर सकते हैं।

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जय सियाराम

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